सच्चे दोस्त की कहानी (Sache Dosti ki kahani)
सच्चे दोस्त की पहचान
अमन और रोहित बचपन के दोस्त थे। दोनों ने एक ही स्कूल में पढ़ाई की थी और हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे। उनकी दोस्ती पूरे गाँव में मशहूर थी। जहाँ भी अमन जाता, रोहित उसके साथ होता और जहाँ रोहित होता, वहाँ अमन जरूर होता।
समय बीतता गया, और दोनों बड़े हो गए। अमन एक गरीब परिवार से था, लेकिन मेहनती और ईमानदार था। दूसरी ओर, रोहित के पिता एक बड़े व्यापारी थे, जिससे वह बहुत अमीर था। लेकिन अमीरी का घमंड कभी उसकी दोस्ती के बीच नहीं आया।
समय की परीक्षा
एक दिन अमन के पिता बीमार पड़ गए। उनका इलाज करवाने के लिए अमन को बहुत पैसों की जरूरत थी, लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे। उसने कई लोगों से मदद माँगी, लेकिन किसी ने उसकी सहायता नहीं की।
आखिर में, वह रोहित के पास गया और बोला, “रोहित, मेरे पिता बहुत बीमार हैं। डॉक्टर ने कहा है कि तुरंत इलाज करवाना जरूरी है। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?”
रोहित को यह सुनकर बहुत दुख हुआ। उसने बिना कुछ सोचे-समझे अपनी जेब से सारे पैसे निकालकर अमन को दे दिए और कहा, “भाई, यह मत सोच कि तुम अकेले हो। जब तक मैं हूँ, तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं।”
अमन की आँखों में आँसू आ गए। उसने रोहित को गले लगा लिया और कहा, “तू सच्चा दोस्त है, रोहित! मैं तेरा यह एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूँगा।”
दूसरों की सच्चाई
लेकिन जब गाँव के अन्य लोगों को यह पता चला कि रोहित ने अमन की मदद की है, तो वे उसे समझाने लगे, “रोहित, गरीबों की मदद करने से कुछ नहीं मिलेगा। अमन पैसे लौटाने की हालत में नहीं है, और तुमने अपना नुकसान कर लिया।”
रोहित ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “दोस्ती में हिसाब नहीं होता, दिल होता है। अगर अमन मेरे लिए अपना खून भी देने को तैयार है, तो मैं उसके लिए पैसे क्यों नहीं दे सकता?”
दोस्ती का इनाम
अमन ने अपने पिता का इलाज करवाया और कुछ महीनों बाद वे पूरी तरह ठीक हो गए। इस दौरान अमन ने अपनी पढ़ाई भी पूरी की और एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई। उसने मेहनत और ईमानदारी से काम किया और जल्द ही सफल व्यक्ति बन गया।
जब उसे पहली तनख्वाह मिली, तो वह सबसे पहले रोहित के पास गया और कहा, “आज जो कुछ भी हूँ, तेरी वजह से हूँ। ये पैसे रख, यह तेरा कर्ज था।”
रोहित हँसते हुए बोला, “अरे पागल! दोस्ती में कोई कर्ज नहीं होता। यह तेरा हक था, और यह मेरा फर्ज था।”
दोनों दोस्त गले मिले, और उनकी दोस्ती पहले से भी मजबूत हो गई।
कहानी की सीख:
- सच्चा दोस्त वही होता है जो मुसीबत में आपके साथ खड़ा रहे।
- दोस्ती पैसों से नहीं, दिल से निभाई जाती है।
- जो दोस्त बुरे समय में साथ न छोड़े, वही असली मित्र होता है।
आपके जीवन में भी ऐसा कोई सच्चा दोस्त है? 😊