10+ भगवान की पौराणिक कथाएं | Pauranik Kathayen

10+ भगवान की पौराणिक कथाएं | Pauranik Kathayen

भगवान की 5 प्रसिद्ध पौराणिक कथाएँ

भारत की पौराणिक कथाएँ अद्भुत, रहस्यमय और प्रेरणादायक होती हैं। इनमें देवताओं की अद्वितीय कहानियाँ छिपी हुई हैं, जो हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं। आइए ऐसी ही कुछ प्रसिद्ध कथाएँ पढ़ते हैं।


1. समुद्र मंथन की कथा

प्रसंग: यह कथा देवताओं और असुरों के बीच हुए संघर्ष और अमृत प्राप्ति की है।

एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण देवता अपनी शक्ति खो बैठे और असुरों से हारने लगे। वे भगवान विष्णु के पास गए, जिन्होंने उन्हें समुद्र मंथन करने की सलाह दी।

देवताओं और असुरों ने मिलकर क्षीर सागर (दूध का समुद्र) मंथन किया। मंदराचल पर्वत को मथानी और नागराज वासुकी को रस्सी बनाया गया। भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार (कछुए का रूप) लेकर समुद्र मंथन के लिए आधार प्रदान किया।

मंथन के दौरान अनेक दिव्य वस्तुएँ निकलीं:

  • हलाहल विष (जिसे भगवान शिव ने पी लिया और नीलकंठ कहलाए)
  • कामधेनु गाय, उच्चैःश्रवा घोड़ा, एरावत हाथी, लक्ष्मी माता, और अंत में अमृत कलश

अमृत को असुरों से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और देवताओं को अमृतपान कराया।

सीख:

  1. संघर्ष के बिना सफलता नहीं मिलती।
  2. विष (कठिनाइयाँ) को सहन करने वाले ही अमृत (सफलता) प्राप्त करते हैं।

2. राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा

राजा हरिश्चंद्र सत्य और न्यायप्रिय राजा थे। उनकी परीक्षा लेने के लिए ऋषि विश्वामित्र ने उनसे संपूर्ण राज्यदान माँग लिया। राजा ने अपना राज्य छोड़ दिया और खुद को एक दास के रूप में बेच दिया।

उनकी पत्नी तारा को भी एक ब्राह्मण के यहाँ नौकरानी बनना पड़ा और उनका बेटा रोहिताश्व जंगल में रहने लगा।

राजा हरिश्चंद्र श्मशान घाट में काम करने लगे, जहाँ उन्हें मृत शरीरों का अंतिम संस्कार कराना पड़ता था। एक दिन उनकी पत्नी का शव उनके सामने लाया गया। उस समय भी उन्होंने अंतिम संस्कार के लिए कर माँगा, क्योंकि यह उनका कर्तव्य था।

उनकी सत्यनिष्ठा देखकर देवताओं ने उन्हें पुनः उनका राज्य लौटा दिया और उनका पुत्र भी जीवित हो गया।

सीख:

  1. सत्य और धर्म का पालन करने वालों की परीक्षा होती है, लेकिन अंततः विजय उनकी ही होती है।
  2. कठिनाइयों के बावजूद सत्य की राह पर चलना ही सबसे बड़ा धर्म है।

3. प्रह्लाद और नरसिंह अवतार

प्रह्लाद, असुरराज हिरण्यकशिपु का पुत्र था, लेकिन वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकशिपु ने घोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था कि उसे न कोई मनुष्य मार सकता है, न पशु, न रात में, न दिन में, न घर में, न बाहर, न किसी अस्त्र-शस्त्र से।

वह स्वयं को भगवान मानने लगा और प्रह्लाद को विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए कहने लगा। जब प्रह्लाद नहीं माना, तो उसे मारने के अनेक प्रयास किए गए, लेकिन वह बचता रहा।

अंततः, भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार (आधा सिंह, आधा मानव) धारण किया और हिरण्यकशिपु को गोधूलि वेला (न दिन, न रात), द्वार की देहली (न घर, न बाहर) पर अपने नाखूनों (न अस्त्र, न शस्त्र) से मारकर वरदान को निष्फल कर दिया।

सीख:

  1. सच्ची भक्ति में इतनी शक्ति होती है कि भगवान स्वयं भक्त की रक्षा करने आते हैं।
  2. अत्याचार और अहंकार का अंत निश्चित होता है।

4. श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत

गोकुल में इंद्रदेव की पूजा की जाती थी। बालक श्रीकृष्ण ने समझाया कि हमें इंद्रदेव के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि वह हमें घास, जल और चारा प्रदान करता है।

इससे इंद्रदेव को क्रोध आ गया और उन्होंने मूसलधार वर्षा शुरू कर दी। पूरा गाँव डूबने लगा, तब भगवान कृष्ण ने अपने छोटे से हाथ की सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सात दिन तक सभी गोकुलवासियों को उसके नीचे आश्रय दिया।

अंततः इंद्रदेव को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा माँगी। तब से गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू हुई।

सीख:

  1. प्रकृति और कर्म ही सच्ची पूजा हैं।
  2. संकट में धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए।

5. माता सीता की अग्नि परीक्षा

रामायण में जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को मुक्त किया, तब उन्होंने माता सीता की पवित्रता सिद्ध करने के लिए अग्नि परीक्षा माँगी।

माता सीता बिना डरे अग्नि में कूद गईं, लेकिन अग्निदेव ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल दिया। यह प्रमाण था कि वह पवित्र थीं।

बाद में, जब भगवान श्रीराम ने प्रजा के संदेह के कारण पुनः माता सीता को वनवास भेजा, तब उन्होंने ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में रहकर लव-कुश को जन्म दिया। अंततः, उन्होंने धरती माता का आह्वान किया और धरती में समा गईं।

सीख:

  1. नारी का सम्मान सबसे महत्वपूर्ण है।
  2. सत्य की राह कठिन होती है, लेकिन अंत में वही विजयी होता है।

यह पौराणिक कथाएँ हमें बताती हैं कि धर्म, सत्य, कर्तव्य और भक्ति का मार्ग हमेशा कठिन होता है, लेकिन जो इस पर अडिग रहता है, वही असली विजेता बनता है।

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