दो सच्चे दोस्तों की कहानी
राजू और मोहन बचपन के दोस्त थे। दोनों एक ही गाँव में रहते थे और साथ-साथ खेलते, पढ़ते और मस्ती करते थे। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि गाँव के लोग भी उनकी मिसाल देते थे। लेकिन समय के साथ जब वे बड़े हुए, तो हालात बदल गए।
समय का इम्तिहान
मोहन एक गरीब परिवार से था, जबकि राजू के पिता एक बड़े व्यापारी थे। जब स्कूल खत्म हुआ, तो राजू को उसके पिता ने शहर भेज दिया, जहाँ उसने अच्छी पढ़ाई की और अपने पिता के व्यापार में हाथ बँटाने लगा। दूसरी ओर, मोहन के पास ज़्यादा साधन नहीं थे, इसलिए वह गाँव में ही छोटे-मोटे काम करने लगा।
धीरे-धीरे, दोनों की ज़िंदगी अलग-अलग रास्तों पर चल पड़ी। राजू अब एक अमीर आदमी बन चुका था, जबकि मोहन अपनी गरीबी से संघर्ष कर रहा था। गाँव के कुछ लोगों ने मोहन से कहा, “तेरा दोस्त राजू अब अमीर हो गया है, लेकिन वह तुझे भूल गया। तुझे अब उससे कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।”
मोहन ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “राजू मेरा सच्चा दोस्त है। दोस्ती पैसों से नहीं, दिल से निभाई जाती है।”
दोस्ती की परीक्षा
एक दिन मोहन को बहुत बड़ी मुसीबत आ गई। उसके पिता बीमार पड़ गए और इलाज के लिए काफी पैसों की जरूरत थी। गाँव में कोई उसकी मदद करने को तैयार नहीं था। हारकर वह शहर गया और राजू के घर पहुँचा।
जब मोहन ने राजू के दरवाजे पर दस्तक दी, तो दरबान ने उसे अंदर जाने से रोक दिया। मोहन ने कहा, “मुझे राजू से मिलना है। मैं उसका बचपन का दोस्त हूँ।”
दरबान ने उसे बाहर बैठा दिया और कहा कि राजू बहुत व्यस्त है। मोहन निराश होकर जाने ही वाला था कि तभी राजू की नज़र उस पर पड़ी।
राजू दौड़कर आया और मोहन को गले लगा लिया। उसने कहा, “अरे, तू यहाँ क्यों बैठा है? तुझे सीधे अंदर आना चाहिए था।”
मोहन ने अपनी परेशानी बताई, तो राजू बिना कुछ सोचे-समझे बोला, “तू मेरे दोस्त से मदद माँगने नहीं, अपना हक़ लेने आया है। तेरी ज़रूरत मेरी ज़िम्मेदारी है।” उसने तुरंत मोहन के पिता के इलाज का इंतज़ाम कर दिया।
दोस्ती का असली मतलब
जब मोहन के पिता ठीक हो गए, तो वह राजू के पास आया और बोला, “भाई, मैं तेरा यह एहसान कभी नहीं भूलूँगा।”
राजू ने हंसते हुए कहा, “पागल! दोस्ती में एहसान नहीं गिना जाता। तू जब भी मुसीबत में होगा, मैं हमेशा तेरे साथ खड़ा रहूँगा।”
इसके बाद मोहन भी मेहनत करके एक सफल आदमी बना और दोनों की दोस्ती पहले से भी ज्यादा मजबूत हो गई।
कहानी से सीख:
- सच्ची दोस्ती पैसों से नहीं, दिल से निभाई जाती है।
- मुश्किल समय में जो साथ दे, वही सच्चा दोस्त होता है।
- समय बदल सकता है, लेकिन सच्ची दोस्ती कभी नहीं बदलती।
क्या आपके भी ऐसे कोई दोस्त हैं जिन पर आप हमेशा भरोसा कर सकते हैं? 😊